अल्फ्रेड नोबेल का जीवन परिचय / Biography of Alfred Nobel in hindi/ अल्फ्रेड नोबेल की डायनामाइट कहानी

अल्फ्रेड नोबेल की डायनामाइट कहानी / अल्फ्रेड नोबेल की कुल संपत्ति / The Dynamite Story of Alfred Nobel / Alfred Nobel Net Worth


                Dear पाठक "your time " के इस आर्टिकल में आप सभी का स्वागत है, उम्मीद है आप सभी स्वस्थ होंगे, आज का यह आर्टिकल अल्फ्रेड नोबेल के जीवन परिचय (Biography of Alfred Nobel)पर आधारित है उम्मीद है आप सभी को यहां आर्टिकल अवश्य पसंद आएगा,

                                                                   धन्यवाद।


अल्फ्रेड नोबेल का जीवन परिचय / Biography of Alfred Nobel in Hindi


अल्फेड नोबेल स्वीडन के नागरिक थे इनका पूरा नाम आल्फ़्रेद बर्नार्ड नोबेल ( Alfred Bernhard Nobel This is the full name of Albert Nobel ) था। अल्फ्रेड नोबेल का जन्म 21 अक्टूबर, 1833 स्टॉकहोम ( स्वीडन) में हुआ था । इनके पिता का नाम इमानुएल नोबेल था । अलफ्रेड नोबेल के पिता उन्हें एक इंजीनियर बनाना चाहते थे । जिसके लिए उन्हें पैरिस भेजा गया था। वहां जाकर उन्होंने केमिकल इंजीनियरिंग मैं अपनी पढ़ाई की। पेरिस में अलफ्रेड नोबेल की मुलाकात रसायनशास्त्री अरकानियो सुबरेरो से हुई जिन्होंने नाइट्रोग्लिसरीन का आविष्कार किया था।नाइट्रोग्लिसरीन एक इतना शक्तिशाली पदार्थ है, की इसकी एक बूंद को सरफेस पर रखकर यदि किसी हथोड़े से प्रहार किया जाये, तो वह भयंकर विस्फोट के साथ फट पड़ता है । इस आविष्कार से सुबरेरो भी घायल हो चुके थे ।



         पेरिस से स्वीडन लौटने के बाद 1852 उन्होंने नाइट्रोग्लिसरीन का उत्पादन प्रारम्भ कर दिया । कुछ सालों तक इनका नाइट्रोग्लिसरी कार्य बहुत बढ़िया ढंग से चला, लेकिन साल 1864 नाइट्रोग्लिसरीन का प्रयोग करके जब वे एक विस्फोटक तैयार कर रहे थे, तो दुर्भाग्यवश से इनके कारखाने में विस्फोट हो गया और किस विस्फोट की चपेट में कई कारीगर मजदूर के साथ-साथ अल्फ्रेड नोबेल की छोटे भाई एमिल की भी मृत्यु हो गई थी, साथ ही साथ इनके कारखाने की इमारत की पूरी तरह ध्वस्त हो गई थी सरकार द्वारा उन्हें इस कारखाने की बिल्डिंग बनाने की अनुमति दोबारा नहीं मिली लेकिन वह नाइट्रोग्लिसरीन पर अपने प्रयोगों को सुचारू रूप से चलाते रहें।


नाइट्रोग्लिसरीन का उपयोग /use of nitroglycerin in hindi


नाइट्रोग्लिसेरीन का उपयोग सर्जरी के दौरान उच्च रक्तचाप (high blood pressure) का इलाज करता है I यह सीने तथा छाती के दर्द को कम करने में लाभकारी है I दिल का दौरा पड़ने पर दिल के कार्य प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने में कारीगर है क्योंकि यह रक्त वाहिकाओं (blood vessels) को सिकुड़ने से बचाता है तथा उन्हें चौड़ा करता है ।जिससे रक्त का प्रवाह आसानी से हो सके। 


डायनामाइट का आविष्कार कब हुआ? /डायनामाइट का खोजकर्ता कौन है?/When was dynamite invented? / who is the discoverer of dynamite?/How was dynamite accidentally invented


साल 1866 में एक दिन अल्फ्रेड नोबेल अपनी प्रयोगशाला में नाइट्रोग्लिसरीन पर शोध कर रहे थे कि अचानक नाइट्रोग्लिसरीन से भरे परखनली नीचे गिर । अल्फ्रेड नोबेल की खुशकिस्मती यह रही कि वह परखनली लकड़ी के बुरादे से भरे हुए डिबे में गिरी थी, और उस नाइट्रोग्लिसरीन को लकड़ी के बुरादे ने सोख लिया था । यदि गलती से यह फर्श पर गिरा होता, तो अल्फ्रेड
नोबेल सहित प्रयोगशाला में कार्यरत अनेको कर्मचारी उस दिन मारे जाते । अल्फ्रेड नोबेल ने यह पाया कि लकड़ी के बुरादे में मिली नाइट्रोग्लिसरीन उतना विस्फोटक नहीं था, जितना कि वह तरल रूप में होता था ।
          इसी प्रयोग के चलते उन्होंने नाइट्रोग्लिसरीन को सिलिका के साथ मिलाकर एक ऐसा पेस्ट तैयार किया, जिसे अपने आवश्यकतानुसार भिन्न-भिन्न आकार की छड़ों में बदला जा सके। इन छड़ों उपयोग करके कहीं पर भी विस्फोट किया जा सकता था तथा यह उपयोग करने के लिए आसान भी था । 
          एक दिन अचानक नाइट्रोग्लिसरीन जोकि एक विशेष कार्बनिक पैकिंग में रखा हुआ था, वहां अवशोषित होकर शुष्क पदार्थ में बदल गया था। इस नई खोज के चलते ही वे आगे चलकर डायनामाइट का निर्माण करने में सफल हुए थे । अब उन्होंने इस विस्फोटक डायनामाइट को व्यवसायिक तौर पर इस्तेमाल करने का विचार बनाया । साल 1867 में अल्फ्रेड नोबेल ने डायनामाइट को ब्रिटेन में पेटेंट करवाया और एक साल बाद 1868 मैं उन्होंने इससे अमेरिका में पेटेंट करवा दिया था। कुछ सालों बाद 1890 में अल्फ्रेड नोबेल ने धुंआ रहित विस्फोटक बनाया जिसको बेलिरटाइट नाम दिया गया। उन्होंने इन विस्फोटक के साथ साथ कृत्रिम रबड़ चमड़ी तथा कृत्रिम रेशम का पेटेंट भी हासिल कर लिया था और बाद में इन विस्फोटकों के लिए का एक विशाल कारखाने का निर्माण करवाया।


डायनामाइट का उपयोग कहाँ किया जाता है?/Where is dynamite used?


डायनामाइट विस्फोटकों का उपयोग विनिर्माण कार्यों में जैसे कि रेल-लाइनों सड़कों तथा पहाड़ों को काटकर रास्तों को बनाने आदी कार्यों में किया जाने लगा । जिस कारण इस विस्फोटक की काफी मांग उठने लगी और जिसके चलते अल्फ्रेड नोबेल के पास काफी मात्रा में धन एकत्रित होने लगा ।समय के साथ साथ अल्फ्रेड नोबेल ने धीरे-धीरे अनेकों स्थानों पर विस्फोटक के कारखाने खोल दिए, जिनके संचालन तथा देखरेख के लिए उन्हें काफी भागदौड़ करनी करनी पड़ी, जिसके चलते आगे उनका  स्वास्थ्य खराब होने लगा । अल्फ्रेड नोबेल यह सोचते थे, कि जब दुनिया के सभी देश शक्तिशाली हो जायेंगें, तो विश्व में शान्ति अपने आप कायम हो जायेगी, क्योंकि विश्व के एक देश दूसरे देश पर आक्रमण या फिर उन्हें पूरी तरह खत्म करने या फिर जीतने की इच्छा नहीं रखेंगे और विश्व में शांति स्वत: ही कायम हो जाएगी, लेकिन अल्फ्रेड सोच के मुताबिक ऐसा हो न सका । 


कैसे डायनामाइट जैसा खतरनाक विस्फोटक बनाने वाले वैज्ञानिक के नाम पर दिया जाता है शांति का सबसे बड़ा पुरस्कार, /How the biggest prize of peace is given in the name of the scientist who made a dangerous explosive like dynamite



अपने जीवन के अन्तिम दिनों में अल्फ्रेड नोबेल ने यह देखा कि डायनामाइट का उपयोग विनिर्माण के बजाय मानव हत्या के लिए हो रहा था। यह जानकर वह बहुत दुखी हुए और लोगों द्वाराअल्फ्रेड नोबेल के बारे में यह तक कहा जाने लगा कि "डायनामाइट कर राजा एक मृत्यु का सौदागर है" उस मृत्यु के सौदागर ने डायनामाइट की खोज की थी और अल्फ्रेड नोबेल को ना जाने क्या-क्या कहा जाने लगा । कुछ लोग उन्हें ‘मौत का व्यापारी’ कहने लगे थे ।यह बात जब अलफ्रेड नोबेल तक पहुंची, तो उन्होंने सोचा कि क्या इसीलिए मैंने डायनामाइट का अविष्कार किया और भविष्य में मुझे किस नाम से याद किया जाएगा? मौत का सौदागर नाम से या फिर विश्व के लिए शांति प्रिय कार्य करने वाले के नाम से ।
           उस समय की परिस्थिति को भांप कर उन्होंने यह समझ लिया था, कि डायनामाइट का उपयोग विश्व में अशांति तथा किन्हीं देशों के मध्य होने वाले युद्धों में विस्फोटकों के रूप में प्रयोग किया जाएगा । जिसके चलते उन्होंने यह निश्चय किया की उन्हें लोग भविष्य में मौत का सौदागर नाम ना पुकारे उसी दिन से, उन्होंने विश्व में शांति के लिए काम करना शुरू कर दिया था और अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा उन लोगों के समर्पण के लिए तय कर दिया था जो विश्व शांति तथा विश्व के हितों के लिए कार्य करेंगे। 10 दिसम्बर, 1896 को इटली के सैनरेमो शहर अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु हो गयी ।


नोबेल प्राइज का इतिहास / Nobel Prize history/नोबेल पुरस्कार क्या है ? What is Nobel Prize



साल 1896 में अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु के बाद स्वीडिश लोगों ही यह पता चला कि उन्होंने अपनी वसीयत में यहां लिखा था की उनकी वसीयत का 94% उन लोगों में बांटा जाए जिन्होंने मानव जाति के लिए विभिन्न क्षेत्रों में अहम योगदान दिया हो। तब चाहे वे लोग स्वीडन के हो या स्वीडन के बाहर अन्य किसी भी देश से हो।



इस कार्य हेतु एक ट्रस्ट (trust) कि स्थापना कर दी गई जिसका कार्य प्रतिवर्ष भौतिकि, रसायन, चिकित्सा विज्ञान, साहित्य, अर्थशास्त्र तथा विश्व शांति के क्षेत्रों में सर्वोत्तम कार्य करने वाले व्यक्तियों को पुरस्कृत करना है इस पुरस्कार का नाम नोबेल प्राइज रखा गया जिसेको साल1901 से दिया जा रहा है।यह पुरस्कार प्रतिवर्ष 10 दिसम्बर को दिया जाता है, क्योंकि 10 दिसंबर 1986 को ही अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु हो गई थी । जिस कारण 10 दिसंबर को अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि  पर हर साल यह पुरस्कार बांटा जाता हैं ।

शुरुआती दौर में यह पुरस्कार केवल 5 क्षेत्रों में दिया जाता था जोकि इस प्रकार है

  • भौतिकी क्षेत्र में नोबेल प्राइज
  • रसायन क्षेत्र में नोबेल प्राइज
  • चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल प्राइज
  • साहित्य के क्षेत्र में नोबेल प्राइज और
  • विश्व शांति नोबेल प्राइस प्राइस

लेकिन साल 1969 से यह प्राइस अर्थशास्त्र के क्षेत्र में भी दिया जाने लगा वर्तमान समय में नोबेल प्राइज 6 क्षेत्रों में दिया जाता है।

नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रथम व्यक्तियों की सूची /प्रथम बार 1901 में नोबेल पुरस्कार पाने वाले विजेता / The first person to receive the Nobel Prize


  • भौतिकी क्षेत्र में एक्स-रे की खोज के लिए रॉन्टजेन को
  • रसायन क्षेत्र मे जे॰एच॰ वांटहॉफ को
  • चिकित्सा के क्षेत्र में वान बेहरिंग को
  • शांति के क्षेत्र में जीन॰एस॰ हुनेन्त तथा फेडरिक पासी
  • साहित्य के क्षेत्र में सूली पूधोम



अल्फ्रेड नोबेल के द्वारा किए गए आविष्कार / Alfred Nobel's Inventions


  • Dynamite
  • Blasting cap
  • Gelignite


अल्फ्रेड नोबल का सूक्ष्म जीवन परिचय



जन्म                21 अक्टूबर 1833
जन्म स्थान       स्टॉकहोम ( स्वीडन)
पूरा नाम           आल्फ़्रेद बर्नार्ड नोबेल
राष्ट्रीयता           स्वीडन
व्यवसाय           रसायनज्ञ, इंजीनियर, आविष्कारक, व्यवसायी
पिता                इमैनुएल नोबेल
माता                एंड्रियट नोबेल
मुख्य अविष्कार  डायनामाइट
मृत्यु                  10 दिसम्बर, 1896 को इटली


Dear पाठक "your time" के अगले आर्टिकल में हम नोबेल प्राइज के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे, जो कि प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण होगा। उम्मीद है,  आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा।


Your Time

This is Kapil Nautiyal, Blogger, Entrepreneur, Mechanical Engineer

1 Comments

  1. ❣️❣️
    ❤️❣️❣️
    ❤️❤️❣️❣️
    ❤️❤️❤️❣️❣️
    ❤️❤️❤️❤️❣️❣️
    ❣️❣️❣️❣️❣️❣️

    ReplyDelete
Post a Comment
Previous Post Next Post