भारत सहित अन्य कई देशों में एक बार फिर से वायरस ने ली दस्तक / लंपी वायरस (Lampi virus) का इलाज क्या है? /Lampi Virus in Hindi/

लम्पी वायरस एक ऐसा नाम जो आजकल हर किसी के जुबां पर तथा न्यूज़ में सुनने को मिल रहा है ।

क्या है? लम्पी वायरस और यह कैसे होता है? क्या सावधानी अपनाएं की लम्पी वायरस से बचा जा सके? आइए जाने....... 



 Dear पाठक "your time " के इस आर्टिकल में आप सभी का स्वागत है, उम्मीद है आप सभी स्वस्थ होंगे, आज का यह आर्टिकल  लम्पी वायरस के बारे में  है , जिस का प्रकोप भारत में बड़ी तेजी से फैल रहा है, और यह वायरस ना जाने कितने बेजुबान जानवरों को  अपना शिकार बना चुका है ।


लम्पीस्कीन रोग/ लम्पी वायरस क्या है? जानिए लम्पी वायरस के बारे में

 मवेशियों में होने वाला एक गांठ नुमा रोग होता है जो कि संक्रमित मक्खी और मच्छरों के काटने से फैलता है। लम्पी एक वायरस जो कि पॉक्सविरिडे परिवार के अंतर्गत आता है। लम्पी वायरस को नीथलिंग वायरस (LSD lumpy skin disease)  के नाम से भी जाना जाता है । लम्पी वायरस की 3 प्रजातियां हैं।इस वायरस के कारण पशुओं के शरीर पर गांठ बननी शुरू हो जाती है जो गांठ  उनके स्वसन तंत्र को भी प्रभावित कर देती हैं। लम्पी वायरस के कारण पशुओं में बुखार भी आता है । इस वायरस के कारण पशुओं की त्वचा मैं ज्यादा सूजन आ जाती है, और जिस कारण पशु चलने में असमर्थ हो जाते हैं। इस बीमारी के कारण पशुओं में कमजोरी,  दुग्ध उत्पादन में कमी तथा पशुओं का खराब विकास, बांझपन आदि जैसे विकार उत्पन्न हो जाते हैं। यह वायरस इतना खतरनाक है, कि इनसे पशुओं की मृत्यु भी हो जाती है ।इस वायरस से संक्रमित होने के 4 से 5 दिन बाद पशुओं में तेज बुखार आना शुरू हो जाता है।


लम्पी वायरस की 3 प्रजातियां है-

  1. गोटपॉक्स - यह बकरियों में फैलता है।
  2.  शीपपॉक्स- यहां पेड़ों में में फैलता है।
  3.  कैप्रीपॉक्स- यह गाय तथा भैंस दोनों में फैलता है।

लम्पी वायरस के पशुओं में कौन-कौन से लक्षण होते हैं? 

  •  पशुओं के आंख और नाक का बहना
  • पशुओं के मुंह से लार का टपकना
  • पशुओं के पूरे शरीर में गांठों का बनना
  •  पशुओं में तेज बुखार आना
  • पशुओं के पैर में सूजन आना

विषाणु क्या होता है? क्या इसे हम नग्न आंखों से देख सकते हैं? 




वायरस सजीव तथा निर्जीव के मध्य की एक कड़ी होती है इसका मतलब यह है कि वायरस मृत अवस्था में भी होता है और जीवित अवस्था में भी होता है इसे हम यूं समझ सकते हैं कि वायरस जब तक कोशिकाओं से बाहर होता है तब तक वहां मृत होता है वायरस हानिकारक भी हो सकते हैं और लाभदायक भी हो सकता है जीवाणुभोजी वायरस लाभदायक होते हैं क्योंकि यह हमारे शरीर से रोगों को उत्पन्न करने वाले जीवाणु को खा जाते हैं या फिर नष्ट कर देते हैं और हमें अनेक प्रकार की बीमारियों  से बचाते हैं जैसे ही जीवित कोशिकाओं में प्रवेश करता है वायरस को भी जीवन मिल जाता है वायरस बहुत सूक्ष्म होते हैं जिनको नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है। वायरस प्रोटीन आर एन ए या डीएनए से मिलकर बने जो आमतौर पर प्रोटीन लिपिड तथा तथा ग्लाइकोप्रोटीन की परतों से घिरे होते हैं ।

सबसे पहले 1995 में इवानोवस्की द्वारा टोबैको वायरस को खोजा गया था।


वायरस कैसे फैलता है? 

वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति से या फिर संक्रमित जानवर मे मिट्टी के माध्यम,  पानी से हवा से आदि किसी भी माध्यम से हमारे शरीर में फेल सकता है। यह हमारे शरीर कि कोशिका को संक्रमित करता है ।वायरस से लड़ने के लिए हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता होनी चाहिए।



लम्पी वायरस की शुरुआत कब और कैसे हुई? 


पशुओं में गांठ दार त्वचा सबसे पहले जाम्बिया देश (अफ्रीका महाद्वीप में ) में 1929 को देखा गया था। यहां जांबिया में एक महामारी का रूप ले चुका था। शुरुआती दौर में यह पाया गया कि यह किसी कीट के काटने से पशुओं में होता है। 1943 से 1945 के बीच यह अफ्रीका महाद्वीप के अन्य देशों में इसके मामले सामने आने लगे और देखते ही देखते कुछ समय बाद यह लगभग पूरे अफ्रीका महाद्वीप में फैल गया था ।जिसके कारण अफ्रीका में million's में पशुओं की मृत्यु हो गई थी,  और अफ्रीका को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा था।






भारत में लम्पी वायरस का प्रकोप



भारत कोरोना वायरस से पूरी तरह निपटा भी नहीं था कि भारत में लम्पी वायरस ने दस्तक दे दी। लम्पी वायरस ने बेजुबान जानवरों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है।
राजस्थान और गुजरात समेत 10 अलग अलग राज्यों में लम्पी वायरस का संक्रमण फैल चुका है। भारत ही नहीं अपितु यहां अन्य कई देशों में फैल चुका है,  और इसके चलते कई दुधारू पशुओं की मृत्यु हो चुकी है। लम्पी वायरस एक संक्रमित रोग है ।जो एक संक्रमित पशु के द्वारा दूसरे पशुओं में फैल रहा है। लम्पी वायरस के इलाज के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है। इसका इलाज पशुओं में होने वाले लक्षणाे के आधार पर किया जा रहा है।






कैसे बचें? लम्पी वायरस से



यदि कोई पशु लम्पी वायरस से संक्रमित हो जाता है, तो उसको अन्य पशुओं से अलग रखा जाए या फिर आइसोलेट किया जाए ।गौशालाओं को नियमित रूप से साफ सुथरा रखा जाए ।जिससे मच्छर मक्खियों का खतरा कम बना रहे ।गौशालाओं के इर्द-गिर्द मच्छर मक्खियों को खत्म करने के लिए घरेलू उपाय या फिर स्प्रे का प्रयोग किया करें ।क्योंकि लम्पी वायरस मुख्यता मच्छर मक्खियों आदि के काटने से फेल रहा है। चिकित्सक के परामर्श से ही संक्रमित पशुओं पर गौर पॉक्स वैक्सीन,  शीपपॉक्स वैक्सीन,  कैप्रीपॉक्स वैक्सीन तथा विटामिंस आदि की दवाईयां तथा इम्यूनिटी बूस्टर खिला सकते हैं।



 


लम्पी वायरस पर सरकार ने उठाए ठोस कदम 

वायरस ने एक महामारी का रूप ले लिया है और भारत में लम्पी वायरस ने अब तक   25000 गायों अपनी चपेट में ले लिया है  इसी को मद्देनजर रखते हुए राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार ने लम्पी वायरस मॉनिटरिंग करना शुरू कर एक दिया है। सरकार ने लम्पी वायरस की रोकथाम के लिए मवेशियों पर टीकाकरण शुरू कर दिया है।
उम्मीद है बहुत जल्द इस बुराई का भी अंत होगा और नए सवेरे के साथ हम यह कह पाएंगे कि बेजुबान जानवर को सताने वाले इस लम्पी वायरस को भी हरा दिया
उम्मीद है आप सभी इन बेजुबान जानवरों के लिए अपने आसपास के सभी लोगों को लम्पी वायरस के बारे में अधिक से अधिक जानकारी बताएंगे ताकि वे समय रहते इस लम्पी वायरस से अपने जानवरों की रक्षा कर सकें ।



धन्यवाद
Your time





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