Dear पाठक "your time " के इस आर्टिकल में आप सभी का स्वागत है, उम्मीद है आप सभी स्वस्थ होंगे, आज का यह आर्टिकल कृष्ण विवर (Black hole) पर आधारित है उम्मीद है आप सभी को यहां आर्टिकल अवश्य पसंद आएगा, अपने अमूल्य सुझावों के लिए comment अवश्य करें धन्यवाद ।
ब्लैक होल क्या है? और यहां कितना खतरनाक होता है?
लगभग हर गैलेक्सी के सेंटर में एक ब्लैक होल मौजूद होता है ।हमारी मिल्कीवे गैलेक्सी के सेंटर में भी एक ब्लैक है। जिसका नाम "सुपरमैसिव ब्लैक हॉल" है। ब्लैक होल बोलने में जितना आसान सा लगता है, यह उतना ही खतरनाक और हैरतअंगेज करने वाला होता है। ब्लैक होल इतना शक्तिशाली होता है कि यह पूरी दुनिया को अपने अंदर समा सकता है या फिर हम यूं कहें कि ब्लैक होल पूरे ब्रह्मांड को भी अपने अंदर समा सकता है। ब्लैक होल के अंदर एक बार अगर कोई चीज चली गई तो वहां हमेशा हमेशा के लिए ब्लैक होल में है कहीं खो जाती है यह तक के प्रकाश भी ब्लैक होल में जा तो सकता है, लेकिन पुनः कभी भी बाहर वापस नहीं आ सकता है। या फिर यूं कहें की ब्लैक होल प्रकाश को खा जाता है, जिसके कारण यहां एक अंधेरे से कुएं की तरह प्रतीत होता है।
क्या है? सिग्नसX-1
सन 1964 में सबसे पहला ब्लैक खोजा गया जिसको सिग्नस X-1 ( Cygnus X-1)नाम दिया गया, जिसको कई सारे शोधकर्ताओं के द्वार पहचाना गया । ब्लैक होल का निर्माण तब होता है, जब कोई तारा अपने जीवन के पड़ाव की अंतिम स्थिति में होता है ।वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया है, कि जब तारे अपने जीवन काल के अंतिम चरण में होते हैं तो उनमें गुरुत्वाकर्षण शक्ति का मान बहुत अधिक बढ़ जाता है। इसी गुरुत्व बल के कारण यह ब्लैक होल अपने इर्द-गिर्द घूमने वाली सभी चीजों को हमेशा हमेशा के लिए अपने अंदर सामान लेते हैं, और फिर वे चीजें कभी भी ब्लैक होल से बाहर नहीं आ पाती। यहां तक की ब्लैक होल ग्रहों के साथ साथ प्रकाश को भी निगल जाता है। ब्लैक होल को हम इस तरह समझ सकते हैं कि जैसे किसी तूफान की चपेट में हर एक चीज का आ जाना। ब्लैक होल एक बड़े तारे के अवशेषों से बनते हैं ।जो सुपरनोवा विस्फोट में मर जाते हैं।
कौन से ब्लैक होल ज्यादा खतरनाक होते हैं?
छोटे ब्लैक होल बड़े ब्लैक होल से ज्यादा खतरनाक होते हैं क्योंकि छोटे ब्लैक होल में ग्रेविटेशनल टाइडल फील्ड (Gravitational tidal fields) ज्यादा होता है जिसके कारण कोई भी पिंड या कोई भी चीज इस छोटे ब्लैक होल के नजदीक आप देखें ये उसे ग्रेविटेशनल फोर्स के कारण अपने अंदर खींच लेते हैं।
क्या है? ब्लैक होल की थ्योरी
जर्मन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के द्वारा 1916 में सापेक्षता के सिद्धांत (Theory of relativity) दिया गया।
ब्लैक होल कैसे बनता है?
असल में जब एक विशालकाय तारे का अंत होता है, तो उसका सारा अवशेष कंप्रेस होकर एक जगह पर जमा हो जाता है। जो बाद में एक ब्लैक होल का रूप ले लेता है और उसकी ग्रेविटी इतनी ज्यादा हो जाती है कि उससे किसी भी चीज का बचना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन हो जाता है।
गुरुत्वाकर्षण बल यूनिवर्स में शुरुआत से ही है और गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही हम पृथ्वी पर चल पाते हैं। अगर पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल न होता तो हम सभी पृथ्वी पर नहीं चल पाते। ग्रेविटी की कमी के कारण हम भी पृथ्वी में एस्ट्रोनॉट की तरह उड़ रहे होते। गुरुत्वाकर्षण बल किसी भी ऑब्जेक्ट के द्रव्यमान पर निर्भर करता है द्रव्यमान बढ़ने के साथ-साथ किसी भी ऑब्जेक्ट का गुरुत्वाकर्षण बल भी बढ़ेगा ।इससे हम यहां अनुमान लगा सकते हैं, कि जब ब्लैक होल अपने अंदर किसी भी ऑब्जेक्ट या फिर किसी चीज को अपने अंदर समेट लेता है। तो ब्लैक होल का द्रव्यमान भी बढ़ने लगता है, जिसके कारण ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण शक्ति ओर अधिक बढ़ने लगती है, और यहां तक कि बड़े आकार के ब्लैक होल छोटे ब्लैक होल को भी अपने अंदर निगल जाते है ब्लैक होल जितनी ज्यादा चीजों को अपने अंदर समाता जाएगा वह उतना अधिक स्ट्रांग बनता जाएगा।
जब ब्लैक होल बहुत अधिक मात्रा में अपने अंदर चीजों को समा लेता है तो ब्लैक होल से हाई फ्रिकवेंसी लाइट की गामा किरणें निकलती है। जिनको देख पाना मुमकिन होता है और एस्ट्रोनॉट इन पर ही रिसर्च करने में आसानी मिलती है।
ब्लैक होल में इतनी ज्यादा ग्रेविटी कहां से आती है?
तारों में दो प्रकार के फोर्स कार्य करते हैं। एक न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्शन फोर्स जो उसको चमकीला बनाने के साथ-साथ तारे को ऊष्मा भी प्रदान करता है, सूर्य भी एक तारा है। और दूसरा फोर्स वह होता है, जो तारे पर बाहर से लगता है ।जिसको ग्रेविटी फोर्स कहते हैं ।तारों में न्यूक्लियर फ्यूजन फोर्स तारे का विस्तार करना चाहता है, लेकिन तारे पर बाहर से लगने वाला ग्रेविटेशनल फोर्स उसको कंप्रेस करना चाहता है ।यह दोनों बल एक दूसरे को बैलेंस करके रखते हैं। न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्शन तब होता है, जब दो हल्के नाभिक मिलकर एक भारी नाभिक बनाते हैं और इस प्रोसेस में भारी मात्रा में ऊर्जा का उत्सर्जन करते हैं ।नाभिकीय संलयन के लिए परमाणु में अधिक ऊर्जा तथा अत्यधिक दाब होना आवश्यक है।
जब तक तारे में यह दोनों फोर्स संतुलन की स्थिति में होते हैं। तब तक तारे का अपना एक अस्तित्व होता है, और जैसे ही इन दोनों फोर्स में से किसी एक फोर्स में कमी आ जाती है, तो दूसरा फोर्स अपने आप बढ़ना शुरू हो जाता है, और दोनों फोर्स के संतुलन की स्थिति को बिगाड़ देता हैं ।तारों की इस कंडीशन में नाभिकीय संलयन या न्यूक्लियर फ्यूल धीरे-धीरे खत्म होने लगता है, जिस कारण तारा धीरे-धीरे ठंडा होने लगता है, और तारा अपनी चमक खोने लगता है, और इसी के साथ तारे अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंचाता है, और धीरे-धीरे तारों पर ग्रेविटी पूरी तरह अपना कब्जा कर लेता है ।अंततः एक चमकदार तारा ब्लैक होल में बदल जाता है ।
क्या ब्लैक होल गर्म होते हैं?
ब्लैक होल तारों की अंतिम स्थिति के बाद बनते हैं और तारों में न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्शन होने से उनका अपना प्रकाश अपनी ऊष्मा होती है और वे अधिक गर्म भी होते हैं जब वे तारे ब्लैक होल में बदल जाते हैं तो ब्लैक होल के अंदरूनी भाग तो बहुत ठंडा होता है , लेकिन उसका बाहरी भाग बहुत अधिक गर्म होता हैब्लैक होल का अंदरूनी भाग ठंडा क्यों होता है? जबकि बाहरी भाग गर्म होता है ऐसा क्यों?
इसको समझने से पहले हमें यह जानना जरूरी होगा, कि ब्लैक होल का स्ट्रक्चर संरचना कैसी होती है? ब्लैक होल को मुख्यतः चार भागों में बांटा गया है
ब्लैक होल को मुख्यतः चार भागों में बांटा गया है
Accretion diskकिसी बड़ी खगोलीय वस्तु और तारों के के चारों तरफ कक्षीय परिक्रमा कर रहे मलबे डस्ट धूल के कण के परिक्रमण या फिर चक्रण को असर्शन डिस्क कहते हैं । इन मलबे के कारण या धूल के करो की गति इतनी अधिक होती है की इनके आपस में टकराने से फ्रिक्शन के कारण इन का तापमान अधिक हो जाता है तथा गुरुत्वाकर्षण बल के कारण इन डस्ट पार्टिकल पर दबाव पड़ता है इसी फ्रिक्शन के कारण ही ब्लैक होल के बाहरी हिस्से का तापमान ज्यादा होता है
Photon sphere
अंतरिक्ष मे वह क्षेत्र जहां पर गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक होता है जो फोटॉन को अपनी कक्षाओं में घूर्णन गति करने के लिए मजबूर कर देता है,
क्या होगा? अगर कुछ ब्लैक होल के अंदर चला जाए, ब्लैक होल के अंदर जाने पर क्या होगा?
ब्लैक होल के अंदर जाने के बाद कोई भी उससे बाहर नहीं निकल सकता और वो हमेशा के लिए उस ब्लैक होल में गायब हो जाता है। कहा जाता है कि अगर पृथ्वी ब्लैक होल के अन्दर चली गई तो धरती पर कुछ भी देख पाना संभव नहीं रहेगा । ब्लैक होल को चार भागों में रखा गया है
1. स्टेलर,
2. इंटरमीडिएट,
3. सुपरमैसिव और
4. मिनिएचर।
जानिए ब्लैक होल के बारे में कुछ रोचक तथ्य
• ब्लैक होल की पहली तस्वीर 2019 में ली गई थी जो कि M87(मेसियर 87) नाम की एक आकाशगंगा में स्थित है
• अब तक का सबसे बड़ा ब्लैक होल OJ287 गैलेक्सी में स्थित है
• ब्लैक होल में समय धीमा हो जाता है
• अब तक के खोजे के सबसे बड़े ब्लैक होल का नाम सिगी टेरियस A है
• भारत में ब्लैक होल की अवधारणा सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने दी थी
Lovely information ❤️
ReplyDeleteBhut bdiya
ReplyDeleteare sir whaaa
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